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संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित पर्यावरण दिवस हर वर्ष ५जून को अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाता है।इस दिन राजनीतिक और सामाजिक तरीक़े से पर्यावरण को दूषित होने से बचाने के लिये अनेक कार्यक्रम किये जाते है जिसमे पौधे लगाना,स्वच्छता अभियान,कूड़े का पुन:चक्रण,निबन्ध एवं कला प्रतियोगिता आयोजित करायी जाती है जिससे लोगों मे जागरुकता फैलायी जा सके।किन्तु प्रश्न यह कि क्या केवल एक दिन के कार्यक्रमों से हम लोगों को जागरुक कर सकते है।
आवश्यक्ता है युद्ध स्तर पर लोगों को समझने व समझाने की।आजकल दिन प्रतिदिन जंगलों को काटकर ऊँची ऊँची इमारतों का निर्माण जिससे हरियाली का कम होते जाना चिंता का विषय है।क्योंकि यह वृक्ष ही वर्षा का कारण है,वर्षा से जल की समस्या समाप्त होती है।बारिश के पानी का जब धरती पान करती है तभी कुओं ,झरने नदी सरोवर आदि के माध्यम से पानी की पूर्ति होती है।आक्सीजन का गृहण और कार्बनडाइआक्साइड का उत्सर्जन मे पेड़ों की महत्वपूर्ण भूमिका है।अत: इसके प्रति लोगों को जागरूक करना एक दिन का काम नही अपितु निरंतर इसके लिये प्रयत्नशील होना होगा।
दूसरा है कूडा और गंदगी का ढेर।हमें अपने शहर को स्वच्छ रखने के लिये भी एक लड़ाई लड़नी है।आज अधिकतर हर शहर कूड़े के ढेर पर खड़ा है।काग़ज़ों पर कूडा निस्तारण की नीति तो बनती है किन्तु उसका कार्यान्वन होते दिखता नहीं।केवल सरकारी नियमों से यह काम नही हो सकता,प्रत्येक व्यक्ति की यह ज़िम्मेदारी है कि वह स्वयं सफ़ाई का ध्यान रक्खे तो इस समस्या से निजात मिल सकती है।फिर भी सरकार को चाहिये जिसके घर के आसपास गंदगी मिले उस पर जुर्माना लगाया जाये जिससे लोग कूडा फैलाने से पहले दस बार सोचे।
ग्लोबल वार्मिंग भी चिंता का विषय बना हुआ है।राजनीतिक,सामाजिक,वैज्ञानिक और शैक्षणिक माध्यमों से हम अपनी पृथ्वी को बचाने के लिये प्रयत्न करे,तो हम पुन: इस गृह को प्रदूषण रहित ,स्वच्छ और सुंदर बना सकते है।लोगों को एक दिन नही पर वर्ष भर एक नियमित कार्यक्रमों द्वारा जागरूक करना,उन्हे पेड़ लगाने ,अपने आस पास के स्थान को स्वच्छ रखने के लिये प्रेरित करना,कचरे से खाद बनाना,बिजली पैदा करना और अन्य बहुत सी उपयोगी चीज़ें बनाना यह बताना,पुन:चक्रण का ज्ञान ।इसके लिये समय समय पर प्रतियोगिताये आयोजित कर,सम्मेलन द्वारा तथा अनेक जानकारियाँ से हम लोगों को प्रेरित कर सकते है।इसके लिये हम कुछ पारितोषक भी प्रदान करे तो लोगों मे अपना क्षेत्र को सुंदर बनाने की होड़ लगेगी।
आवश्यक्ता है दृढ संकल्प की फिर वह दिन दूर नहीं जब यह धरती फिर से शस्य श्यामला बनेगी,हमारी आने वाली पीढ़ी शायद एक स्वस्थ वातावरण और शुद्ध वायु में साँस ले सके।
करे संकल्प
पेड़ पौधे लगायेंगे
रक्खेगे स्वच्छ
अपने शहर को
जागरूक करेंगे
हर जन को
रहेगा शुद्ध जब
वातावरण
बनेगी धरा
शस्य श्यामला तब
सही अर्थ मे
मनायेंगे तब हम
पर्यावरण दिन।
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